Friday, November 30, 2018

एमसीबी क्या है कैसे काम करती है

एमसीबी क्या है कैसे काम करती है



एम सी बी का पूरा नाम मिनिएचर सर्किट ब्रेकर होता है एमसीबी हमारे जो पहले समय में फ्यूज हुआ करते थे उसकी जगह पर उसको अपग्रेड कर कर एमसीबी को लाया गया जैसे फ्यूज हमारे ओवरलोड और फुल लोड कंडीशन में हमारे उपकरण को बचाने के लिए होते हैं वैसे ही एमसीबी आज वह कार्य कर रही है क्योंकि फ्यूज MCB  की अपेक्षा ज्यादा एक्यूरेट तरीके से काम नहीं करता  । एमसीबी हमारे उपकरण की बहुत अच्छे से सुरक्षा करती है



एमसीबी इलेक्ट्रिकल की एक switching device है। जो जब भी किसी सर्किट में Current ज्यादा जाता है, मतलब ओवरलोड जब होता है तो एमसीबी अपने आप बंद हो जाती हैं उसे एमसीबी ट्रिप होना कहते हैं ,और आज लगभग हर जगह एमसीबी को उपयोग में ला रहे हैं।

एमसीबी के अंदर 2 तरह से ट्रिपिंग होती है। पहली ओवरलोड ट्रिपिंग और दूसरी शार्ट सर्किट ट्रिपिंग ।



Overload tripping - एमसीबी के अंदर एक बाई मैट्रिक स्ट्रिप होती है जो कि दो धातु से मिलकर बनी होती है जब एमसीबी के अंदर से उस धातु के सहन ना कर पाने जितनी करंट फ्लो होती है ,तो वह धातु की स्ट्रिप गरम होकर मुड़ जाती है और उसके मुड़ने के साथ साथ एमसीबी ट्रिप हो जाती है । इसे ओवरलोड ट्रिपिंग और थर्मल प्रोटक्शन कहते हैं।

Short circuit tripping - शॉर्ट सर्किट ट्रिपिंग में एमसीबी के अंदर एक Coil होती है जिसे सोलेनाइड कॉइल कहते हैं जब शॉर्ट सर्किट होता है तब एमसीबी में लगी कॉइल में मैगनेटिक टिक बनता है , तो इसके अंदर एक स्प्रिग के जरिये वह लिवर को आगे की तरफ धकेल देती है ,जिससे ट्रिपिंग लिवर पर धक्का लगता है और एमसीबी ट्रिप हो जाती है। शॉर्ट सर्किट ट्रिपिंग को मैग्नेटिक प्रोटेक्शन भी कहते हैं ।

एमसी बी हमारी 5 टाइप्स की आती है।

  • Type B
  • Type C
  • Type D
  • Type K
  • Type Z


इसको अलग-अलग जगह पर यूज किया जाता है, हम एक उदाहरण के जरिए समझेंगे।




Type B - किसी एमसीबी पर रेटेड करंट 10 एपियर है और वह टाइप B है, तो उसके अंदर 30 से 50 एंपियर करंट फ्लो होगा तो वह ट्रिप हो जाएगी । इसका मतलब 3-5 गुना अधिक।

Type C - अगर एमसीबी टाइप सी है और उसका रेटेड करंट 10 एंपियर ही है तो वह 50 से 100 एंपियर करंट फ्लो होने पर ट्रिप हो जाएगी। मतलब 5-10 गुना ज्यादा ।

Type D - अगर एमसीबी टाइप D है, इसका रेटेड करंट भी 10 एंपियर है, तो यह 100 से 200 एंपियर करंट फ्लो होने पर ट्रिप हो जाएगी। 10-20 गुना अधिक।

Type K - अगर एमसीबी टाइप Kके हैं और उसका फुल लोड करंट 10 एंपियर है, तो वह 100 से डेढ़ सौ एंपियर करंट फ्लो होने पर ट्रिप हो जाएगी। मतलब 10-15 गुना अधिक।

Type Z - और अगर एमसीबी z टाइप है और उसका ररेटेड करंट भी 10 एंपियर है , तो वह 20 से 30 एंपियर करंट फुल होने पर ट्रिप हो जाएगी। मतलब 2-3 गुना अधिक।


एमसीबी लगाने के फायदे


  1. एमसीबी  प्रोटक्शन डिवाइस है जोकि शॉर्ट सर्किट और ओवरलोड करंट में अपने आप trip होता है और यह फ्यूज के मुकाबले बहुत तेजी से और बहुत एक्यूरेट काम करता है।
  1. एमसीबी को ट्रिप होने के बाद दोबारा चला सकते हैं लेकिन हमें फ्यूज को चेंज करना पड़ता है एवं उसमें नया तार लगाना पड़ता है
  1. Fuse को हम बार-बार ट्रिप होने पर यूज नहीं सकते हैं, हमें बार-बार बदलना पड़ता है इससे समय भी काफी लगता है और पैसे भी बार-बार खर्च होते हैं ।
  1. एमसीबी ट्रिपिंग बहुत ही साइलेंट होती है, पर फ्यूज में एक स्पार्क के साथ में फ्यूज ब्रेक होता है, इससे यह पता चलता है MCB हमारे लिए सुरक्षित होती है।






धन्यवाद दोस्तों आपको यह पोस्ट कैसी लगी अगर आपके मन में कोई भी शंका है तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर पूछें मैं आपको बहुत जल्दी रिप्लाई करता हू। दोस्तों इसके अलावा अगर आप वीडियो के जरिए समझना चाहते हैं तो आप मेरी यूट्यूब चैनल इलेक्ट्रिकल दोस्त पर विजिट कीजिए वहां का लिंक मैं नीचे दे रहा हूं ।





Thursday, November 29, 2018

capacitor क्या है? कपैसिटर वर्किंग डिटेल और इसके प्रकार इसका उपयोग



Capacitor  क्या है ? कपैसिटर Working डिटेल और इसके प्रकार  इसका उपयोग 



        कैपेसिटर क्या है यह कैसे काम करता है इसका यूज कहां होता है इसके टाइप्स और इसके बारे में और भी बहुत डिटेल आज इसके अंदर जानेंगे ।


         यह एक electrical डिवाइस होता हैं जो की energy को इलेक्ट्रिक चार्ज के फॉर्म में एकत्रित करता है मतलब स्टोर करता है यह एक रिचार्जेबल बैटरी की तरह काम करता है जो मिली सेकंड में चार्ज होती है और उसी स्पीड से डिस्चार्ज होती है कैपेसिटर को हिंदी में संधारित्र कहते हैं और S.I. यूनिट farad होती है इसे f से प्रदर्शित किया जाता है




कैपेसिटी के अंदर दो कंडक्टर प्लेट होती है और इन दोनों कंडक्टर plate के बीच में डाइलेक्ट्रिक मैटेरियल एक तरीके का इंसुलेटर होता है उसे रखा जाता है मतलब भरा जाता है । जैसे -( पेपर प्लास्टिक शीशा क्लास रब्बर ) और और भी हो सकते हैं ।






Capacitor के 3 टाइप्स होते हैं

1 Fixed capacitor
2 Polarized capacitor
3 Variable capacitor



1 Fixed capacitor - Fixed (non polar) कैपेसिटर में हमें कनेक्शन के समय पोल्स देखना जरूरी नहीं होता है ,इसे हम कैसे भी कनेक्ट कर सकते हैं| फैन का कैपेसिटी हमारा fixed (नॉनपोलर) कैपेसिटर होता है।

2 Polarized capacitor- Polarized capacitor के कनेक्शन के समय हमें कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि कैपेसिटर मैं (+ , - )देख कर कनेक्शन करने होते हैं वह कैपेसिटर पर दर्शाया जाता है , की पॉजिटिव कहां कनेक्ट करना है, और नेगेटिव कहां कनेक्ट करना है, पोलर (polarized) कैपेसिटर का डीसी में उपयोग किया जाता है।

3 Variable capacitor- Variable capacitor यह कैपेसिटी उस जगह पर उपयोग किया जाता है जहां पर समय-समय पर capacitor की value कम जाता करनी होती है। इसमें ऊपर port होता है जिससे हम इसकी वैल्यू कम या ज्यादा कर सकते हैं, अगर हम इस कैपेसिटी का उपयोग ना करें तो हमें बार बार कैपेसिटर चेंज करने की जरूरत पड़ेगी ।



Capacitor का उपयोग कहां होता है ।
       
        कैपेसिटर का एक उपयोग तो आपने जरूर देखा होगा जोकि हमारी घरों के पंखों में भी होता है, उसका कार्य पंखे की मोटर को एक स्टार्टिंग torque देने के लिए होता है उसके ऊपर एक अलग पोस्ट में चर्चा करेंगे।

  • कैपेसिटर का उपयोग हमारे Power factor improvement  में किया जाता है 
  • low pass फिल्टर के लिए 
  • High pass फिल्टर के लिए 
  • Noise Filter के लिए यूज किया जाता है
  • कैपेसिटर DC current को  AC current  से फिल्टर करने के लिए use होता है । Rectifier के बाद में कनेक्ट किया जाता है ताकि हमको pure DC मिल सके।



शायद आपको कैपेसिटर क्या है इसके बारे में डिटेल समझ में आई होगी आप इस पोस्ट को आपके फ्रेंड के साथ शेयर कीजिए और अगर कोई मन में Question है तो आप मुझे नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं और ऐसे ही और इंफॉर्मेशन पानी के लिए आप हमें सब्सक्राइब जरूर कीजिए धन्यवाद